मंगलवार 08 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। यह भारत में दिखाई देने के कारण इसका सूतक काल मान्य होगा। धार्मिक नजरिए से जब भी ग्रहण लगता है तो सूतक काल लग जाता है। सूतक को अशुभ समय माना गया है जिसमें किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ करने की मनाही होती है और मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं। साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का स्पर्श काल दोपहर 02 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो जाएगा। वैदिक पंचाग के अनुसार यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत के कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में दिखाई देगा जबकि बाकी जगहों पर आंशिक चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा।



यह चंद्र ग्रहण मेष राशि और भरणी नक्षत्र में लगेगा। इस दिन मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल तीसरे भाव में वक्री चाल में विराजमान होंगे, जब चंद्रमा राहु के साथ स्थिति होंगे। अक्सर चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा के साथ केतु होता है और सूर्य के साथ राहू परंतु इस ग्रहण पर सूर्य के साथ केतु है और चंद्र के साथ राहू विराजमान है,इसलिए ज्योतिषीय दृष्टि से इसे बहुत अच्छा नहीं माना जा रहा है।


ग्रहण के दौरान तमाम तरह की नकारात्मक शक्तियां प्रभावशाली हो जाती हैं, जिससे हमारे आसपास की हर चीज प्रभावित होती है। वैसे तो चंद्र ग्रहण एक भौगोलिक घटना है, लेकिन पौराणिक मान्यता है कि पूर्णिमा की रात राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं, तब चंद्रमा पर ग्रहण लगता है। ऐसे में चंद्र देव पर आए इस संकट के काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। ग्रहण के समय मंदिर के कपाट भी बंद हो जाते हैं। चंद्र ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं।


सूर्य ग्रहण की घटना को खुली आंखों से देखना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तो अनुचित नहीं है, क्योंकि ये आपकी आंखों के लिए सही नहीं होता है। हालांकि चंद्र ग्रहण को देखा जा सकता है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में घर से बाहर निकलना और ग्रहण को देखना अच्छा नहीं माना जाता है, क्योंकि इस दौरान प्रकृति में कुछ समय के लिए विचित्र सी शक्ति उत्पन्न होती है जो कि सभी प्राणियों पर प्रभाव डालती है। 



8 नवंबर 2022 को लगने वाला चंद्र भारत में भी विशेष रूप से दर्शनीय होगा। भारत के पूर्वी हिस्सों में इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण और बाकी हिस्सों में आंशिक चंद्रग्रहण के रूप में देखा जा सकता है। ये इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण है।


चंद्रग्रहण के समय दान-पुण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है. अगर इस दौरान राशि अनुसार दान किए जाते हैं तो कुंडली के कई दोषों का असर कम हो जाता है. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में मंगलवार को ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण होने से लूटपाट, चोरी व अग्निकांड की घटनाएं बढ़ेगी तथा शीतकालीन फसलों में रोग प्रकोप हो सकता है. देशभर में राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें को राजनेताओं में भी खींचतान बढ़ेगी. ग्रहण के समय चन्द्र-राहु का सूर्य-बुध-शुक्र-केतु से सम-सप्तक योग बनने से प्राकृतिक प्रकोप से जन-धन की हानि और धातु एवं रस पदार्थों में तेजी आएगी. मंगलवार को दोपहर 2.39 बजे चंद्र ग्रहण शुरू होगा और शाम 6.19 बजे तक असर रहेगा.


चंद्र ग्रहण में सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आती है. इस दौरान चांद धरती की छाया से ढक जाता है या छिप जाता है, पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे की सीध में आ जाते हैं. ऐसे में जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह काला नजर आता है.